About us

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हमारी वेबसाइट का उद्देश्य पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। हम नाड़ी परिक्षा, नाड़ी चिकित्सा, और शाश्वत चिकित्सा जैसी प्राचीन विधियों का उपयोग करके आपकी सेहत को पुनः प्राप्त करने में मदद करते हैं। 

  1. नाड़ी परिक्षा (Nadi Pariksha)

हमारी नाड़ी परिक्षा सेवा आपके शरीर की गहराई से जांच करती है, आपके स्वास्थ्य की स्थिति का सटीक आकलन करती है, और किसी भी संभावित असंतुलन की पहचान करती है। यह विधि आपको बिना किसी दर्द या जटिलता के, आपके स्वास्थ्य की गहरी समझ प्रदान करती है, जिससे सही समय पर उचित कदम उठाया जा सकता है।

 2. नाड़ी चिकित्सा (Nadi Chikitsa)

नाड़ी परिक्षा के आधार पर, हम आपको व्यक्तिगत चिकित्सा समाधान प्रदान करते हैं, जो आपके शरीर के असंतुलन को ठीक करने और आपकी सेहत को बहाल करने में मदद करते हैं। 

 3. शाश्वत चिकित्सा (Shashwat Chikitsa)

शाश्वत चिकित्सा के माध्यम से, हम दीर्घकालिक और स्थायी स्वास्थ्य सुधार की दिशा में काम करते हैं। यह चिकित्सा विधि जीवनशैली, आहार, और नियमित चिकित्सा के माध्यम से संतुलन और समग्र कल्याण को बढ़ावा देती है।

अतिरिक्त विशेषताएँ (Additional Features)

1. व्यक्तिगत चिकित्सा योजना (Personalized Treatment Plans)

प्रत्येक व्यक्ति की अनूठी आवश्यकताओं के आधार पर तैयार की गई उपचार योजना। यह योजना आपके व्यक्तिगत स्वास्थ्य प्रोफाइल के अनुसार अनुकूलित की जाती है, जिससे आपकी सभी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों का ध्यान रखा जा सके।

2. विशेषज्ञ चिकित्सक (Expert Practitioners)

हमारी टीम में अनुभवी और योग्य चिकित्सक शामिल हैं, जो पारंपरिक चिकित्सा में विशेषज्ञता रखते हैं। वे न केवल आपके स्वास्थ्य समस्याओं का निदान करते हैं, बल्कि आपको उचित मार्गदर्शन और सलाह भी प्रदान करते हैं, जिससे आप अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकें।

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जीवनशैली परामर्श

व्यक्तिगत चिकित्सा योजना

हम हर व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक अनुकूलित उपचार योजना तैयार करते हैं, जो शरीर के असंतुलन को ठीक करने और दीर्घकालिक स्वास्थ्य में सुधार करने पर केंद्रित होती है।

शाश्वत चिकित्सा

शाश्वत चिकित्सा एक दीर्घकालिक उपचार विधि है, जिसे आपके शरीर की प्राकृतिक स्थिति में सुधार करने और समग्र स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह विधि दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है।

योग और ध्यान

योग और ध्यान का अभ्यास शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है। इस सेवा में विशेष योग आसन और ध्यान तकनीकें सिखाई जाती हैं, जो आपके मन और शरीर को गहरी शांति और सुकून प्रदान करती हैं।

नाड़ी परीक्षण

नाड़ी परीक्षण एक पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति है जो आपकी सेहत की गहराई से जांच करती है। इस विधि से हम शरीर के आंतरिक संतुलन को समझकर आपको उपयुक्त सलाह और उपचार प्रदान करते हैं।

विशेषज्ञ चिकित्सक

हमारी टीम में अनुभवी चिकित्सक और विशेषज्ञ शामिल हैं, जिनकी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में गहरी जानकारी है। वे हर मरीज को व्यक्तिगत देखभाल और उपचार प्रदान करते हैं, जिससे उत्कृष्ट परिणाम मिलते हैं।

संपूर्ण स्वास्थ्य दृष्टिकोण

हमारा दृष्टिकोण केवल रोगों के इलाज तक सीमित नहीं है। हम समग्र स्वास्थ्य, मानसिक और शारीरिक संतुलन, और जीवन की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ सुनिश्चित होता है।

संपूर्णता

हमारी वेबसाइट पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे नाड़ी परिक्षा, नाड़ी चिकित्सा, और शाश्वत चिकित्सा के माध्यम से आपके स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने में सहायक है। हम आपके शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक संतुलन को बहाल करने के लिए समर्पित हैं, जिससे आप दीर्घकालिक और समग्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकें।

परिणाम
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नाड़ी परिक्षा और चिकित्सा से त्वरित स्वास्थ्य लाभ।
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शाश्वत चिकित्सा से दीर्घकालिक सुधार।
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व्यक्तिगत स्वास्थ्य लक्ष्यों और संतुलन की प्राप्ति।
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Webinar

मुख्य विषय: शाश्वत चिकित्सा

1. शाश्वत चिकित्सा का परिचय

  • शाश्वत चिकित्सा की परिभाषा: शाश्वत चिकित्सा का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का स्थायी संतुलन प्राप्त करना है। यह केवल बीमारी के उपचार पर नहीं बल्कि जीवनभर स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक उपायों पर केंद्रित है।
  • आयुर्वेद में शाश्वत चिकित्सा का स्थान: यह चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों पर आधारित है, जो प्राचीन भारतीय चिकित्सा विज्ञान का एक अभिन्न हिस्सा है।

2. शाश्वत चिकित्सा के मूल सिद्धांत

  • पंच महाभूत सिद्धांत: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – इन पंच महाभूतों के संतुलन को बनाए रखने का महत्व।
  • त्रिदोष सिद्धांत: वात, पित्त और कफ के संतुलन द्वारा स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग।
  • धातु और मल का संतुलन: शरीर में धातुओं (ऊर्जाओं) और मल (अवशिष्ट पदार्थों) का उचित संतुलन बनाए रखने के उपाय।
  • सर्वांगीण उपचार: शाश्वत चिकित्सा का उद्देश्य केवल शरीर का उपचार करना नहीं है, बल्कि मन और आत्मा का भी ध्यान रखना है।

3. दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन का महत्व

  • शारीरिक संतुलन: शरीर के सभी अंगों और प्रणालियों का संतुलित रूप से कार्य करना।
  • मानसिक संतुलन: सकारात्मक मानसिकता और तनाव प्रबंधन के उपाय।
  • आध्यात्मिक संतुलन: आत्म-ज्ञान और ध्यान के माध्यम से आंतरिक शांति प्राप्त करना।

4. स्वास्थ्य के लिए प्रमुख सिद्धांत

  • दैनिक दिनचर्या (दैनिकाचार्य): स्वस्थ दिनचर्या का पालन, जैसे कि समय पर भोजन करना, पर्याप्त नींद लेना, और नियमित व्यायाम करना।
  • मौसमी अनुकूलन (ऋतुचर्या): मौसम के अनुसार अपने आहार और जीवनशैली में परिवर्तन करना, जैसे सर्दियों में गर्म और पौष्टिक आहार लेना और गर्मियों में ठंडे और हल्के आहार का सेवन करना।
  • रोगों की रोकथाम: बीमारियों को रोकने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और चिकित्सा विधियों का उपयोग करना।

5. व्यावहारिक अनुप्रयोग

  • व्यक्तिगत आहार योजना: शरीर के प्रकार (वात, पित्त, कफ) के अनुसार आहार का चयन करना।
  • जीवनशैली में सुधार: योग, प्राणायाम, और ध्यान जैसी गतिविधियों को दैनिक जीवन में शामिल करना।

मुख्य विषय: नाड़ी चिकित्सा

1. नाड़ी चिकित्सा का परिचय

  • नाड़ीचिकित्सा: आयुर्वेद की एक प्राचीन निदान विधि है जिसमें शरीर की नाड़ियों के माध्यम से
    स्वास्थ्य की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। यह विधि हजारों वर्षों से उपयोग में है और आयुर्वेद
    के पारंपरिक चिकित्सा दृष्टिकोण में इसकी गहरी जड़े हैं।
  • इतिहास: नाड़ी चिकित्सा का उल्लेख आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जैसे कि चरक संहिता
    और सुश्रुत संहिता, जिसमें इसे स्वास्थ्य और रोग निदान का महत्वपूर्ण अंग माना गया है।

2. नाड़ी चिकित्सा की प्रक्रिया

  • नाड़ी की जांच के स्तर: नाड़ी की जाँच तीन प्रमुख स्तरों (वात, पित्त, कफ) पर की जाती है। प्रत्येक
    स्तर शरीर की विशिष्ट गतिविधियों और विकृतियों को दर्शाता है।
  • नाड़ी की गति, ताकत और लय: नाड़ी की गति (धीमी या तेज), ताकत (मजबूत या कमजोर),
    और लय (संतुलित या असंतुलित) को समझकर स्वास्थ्य की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है।
  • नाड़ी का तापमान और स्थिरता: नाड़ी का तापमान (गर्म या ठंडा) और स्थिरता (स्थिर या अस्थिर)
    की जांच की जाती है, जो शरीर में असंतुलन या विकारों का संकेत देती है।
  • पल्स की विभिन्न धड़कनों का विश्लेषण: नाड़ी की विभिन्न धड़कनों जैसे चंचलता, गहराई, और स्थिरता का विश्लेषण करके यह पता लगाया जाता है कि शरीर के कौन से अंग या प्रणाली पर तनाव
    है।

3. नाड़ी चिकित्सा के लाभ

  • बीमारियों की पहचान: नाड़ी परीक्षण की मदद से बीमारियों की प्रारंभिक पहचान की जाती है,
    जिससे समय पर उपचार और रोग की गंभीरता को कम किया जा सकता है।
  • रोग प्रबंधन: प्रारंभिक निदान से रोग के फैलने की संभावनाएँ कम होती हैं और स्वास्थ्य को
    बनाए रखने में मदद मिलती है।

4.व्यक्तिगत उपचार योजना

  • नाड़ी के आधार पर व्यक्तिगत आहार की सिफारिश: नाड़ी की स्थिति और शरीर के दोषों के
    आधार पर विशेष आहार योजना तैयार की जाती है, जो व्यक्ति की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करती
    है।

आपल्या व्यक्तिमत्व विकासासाठी केलेली गुंतवणूक
ही सर्वोत्तम गुंतवणूक होय.

संस्थापक

जीवन संजीवनी मानव संशोधन विकास संस्था,
मुलामुलींच्या व्यक्ती मत्व विकासासाठी संशोधन,
साहित्य निर्मिती, मार्गदर्शन व प्रबोधन
यासाठी संपूर्ण जीवन कार्य.

जीवन संजीवनी प्रकल्प

जीवन संजीवनी’ हा प्रकल्प शाळा, महाविद्यालये, विविध संस्था, पालकयांच्या माध्यमातून राबविला जातो. प्रत्येक कृती कार्यक्रम पुढीलप्रमाणे –

  1. प्रथम ‘जीवन संजीवनी’ या प्रकल्पाची ओळख व्याख्यानांद्वारे करून दिली जाते.
  2. आवश्यकतेनुसार एक, तीन व दहा दिवसांच्या कार्यशाळांचे आयोजन केले जाते.
  3. प्रशिक्षणार्थींच्या शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व शैक्षणिक समस्या विविध मानसशास्त्रज्ञांच्या चाचण्यांद्वारे जाणून घेतल्या जातात.
  4. समस्यांच्या मुळाशी जाऊन त्यावर उपाययोजना करण्यात येते.
  5. वैफल्य समस्यांचा निःशुल्क निवारण केले जाते.
  6. आधुनिक तंत्रज्ञानाच्या साहाय्याने व्यावसायिक उभारणीसाठी मार्गदर्शन.
  7. उत्तम कार्यकाळात 11000 पेक्षा जास्त ऑफलाईन/ऑनलाईन कार्यशाळा.